अनोखी शादी: एक ही मण्डप में दुल्हे ने लिए तीन दुल्हन के साथ फेरे, माता-पिता की शादी में जमकर नाचे बच्चे

अनोखी शादी: एक ही मण्डप में दुल्हे ने लिए तीन दुल्हन के साथ फेरे, माता-पिता की शादी में जमकर नाचे बच्चे

शादियों का सीजन चल रहा हैं। आप भी अब तक कई शादियां अटेण्ड कर चुके होंगे। लेकिन अब तक एक मण्डप में एक दूल्हे-दुल्हन व दो दूल्हे-दुल्हन को फेरे लेते देखें होंगे। लेकिन आज एक ऐसी अनोखी शादी से हम आपको रूबरू कराएंगे। जहां मण्डप एक था और दूल्हा भी एक, लेकिन दुल्हन तीन। गजब की बात यह है कि एक ही दूल्हे ने तीन दुल्हनों से शादी की। शादी तक तो बात ठीक थी, लेकिन इस दूल्हा-दुल्हनों के 6 बच्चे भी हैं। जब इस शादी का पूरा सच आप जानेंगे तो आप यह जरूर कहेंगे कि ऐसी शादी आपने पहली बार सुनी है।

दरअसल यह पूरा मामला मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल अलीराजपुर जिले का है। जहां शादी का कार्ड और संपन्न हो चुकी शादी की चर्चा काफी जोरों पर है। यहां पर एक दूल्हे ने अपनी तीन प्रेमिकाओं के साथ 6 बच्चों की मौजूदगी में सात फेरे लिए है। शादी समारोह में गांव के बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। शादी के लिए बकायदा पहले से शादी कार्ड बनवाया गया। जिसमें दूल्हे का नाम और उसके तीनों दुल्हन का नाम लिखाया गया।

अनोखी शादी: एक ही मण्डप में दुल्हे ने लिए तीन दुल्हन के साथ फेरे, माता-पिता की शादी में जमकर नाचे बच्चे

आपको बता दें कि दूल्हा समरथ मौर्य जो अलीराजपुर के दानापुर इलाके का सरपंच भी रह चुका है। समरथ मौर्य को 15 साल के दौरान तीन अलग-अलग युवतियों से प्यार हुआ। कुछ अंतराल के बाद तीनों को भगाकर अपने घर ले आया। तीनों पत्नी को प्रेमिकाओं की तर रखा। जिनसे कुल 6 बच्चे भी पैदा हुए। तीनों को एक साथ पहले से ही घर में रखने के बाद 15 वर्ष बाद की शादी। शादी में बच्चों ने खूब डांस भी किया।

जानकारी के मुताबिक 15 साल पहले वह बहुत गरीब था। पैसे ना होने के चलते उसने शादियां नहीं की थी। 3 महिलाओं से प्यार हुआ था जिन्हें बारी-बारी से भगा कर अपने घर ले आया, जिनके साथ पति-पत्नी की तरह रहने लगा।

समाज के बहिष्कार के चलते करनी पड़ी शादी

मिली जानकारी अनुसार आदिवासी भिलाला समाज में युवकों को बिना शादी के महिलाओं के साथ रहेंगे और बच्चा पैदा करने की अनुमति है। लेकिन इस समाज की एक और परंपरा है कि अगर कोई व्यक्ति बिना शादी के घर बसाने वाले जोड़ों को समाज के किसी भी मांगलिक कार्यक्रम हिस्सा लेने की इजाजत नहीं होती। इसीलिए समरथ मौर्य को सामाजिक परंपरा निभाने में परेशानी होती थी। अगर वह शादी कर लेता है तो उसे सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट मिल जायेगी। जिस वजह से समरथ मौर्य ने 15 साल बाद न सिर्फ कार्ड छपवाया, उसमें पत्नी नाम छपवाया और विधि पूर्वक उनके साथ मण्डप में फेरे लिए। फिलहाल समरथ की शादी सुर्खियों में है।

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