Rajasthan News: आखिर क्यों लेना पड़ी थी सचिन पायलट को प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग, जानिए इनके बारे में कुछ रोचक बाते सचिन पायलट का आज यानी 7 सितंबर को जन्मदिन है. राजस्थान के युवा नेता सचिन पायलट को ‘पायलट’ सरनेम उनके पिता से मिला था. पिता राजेश विधूड़ी एयरफोर्स में अफसर थे. कांग्रेस लीडर संजय गांधी ने उन्हें ‘पायलट’ सरनेम दिया और उनके बेटे सचिन भी सचिन पायलट हो गए. सचिन बचपन में स्कूल जाते थे तो उन्हें बच्चों के सवालों का सामना करना पड़ता था. बच्चे उनके सरनेम की वजह से चिढ़ाते थे.
पायलट सरनेम पर भी उठाये गए थे सवाल
पायलट सरनेम पर भी उठाये गए थे सवाल आपको बता दे की सचिन पायलट के राजनीति में आने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया ने एक सभा को संबोधित करते हुए सवाल उठाया था. कटारिया ने कहा था कि इनके पिता राजेश फोर्स में थे और पायलट थे, लेकिन इनके पूरे परिवार ने नाम के साथ पायलट लगाना शुरू कर दिया. मेरे पिता डॉक्टर थे तो क्या मैं और मेरा पूरा परिवार नाम के आगे डॉक्टर लगाना शुरू कर दें
इंटरव्यू में सचिन पायलट ने दिया जवाब
आपको बता दे की सचिन पायलट ने अपने डिग्रियों का हवाला देते हुए कहा था कि कभी फ्री रहूंगा तो प्लेन में घुमाउंगा कटारिया को. ध्यान देने वाली बात है कि TOI को दिए इंटरव्यू में सचिन पायलट ने बताया था कि उन्होंने अपनी मां को बिना बताए जहाज उड़ाने का लाइसेंस लिया था.
2012 में सेना में हुए शामिल
बचपन से ही सचिन पायलट का सपना था की वह देश की सेवा करेंगे. पायलट के पिता एयरफोर्स में स्क्वॉड्रन लीडर के पद से त्यागपत्र देकर राजनीति में आए पर बेटे सचिन पायलट को राजनीति में आने के बाद सेना में जाने का अवसर मिला. वर्ष 2012 में सूचना एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री रहते हुए सचिन पायलट को टेरिटोरियल आर्मी में कमीशन मिला. वर्ष 2019 में इन्हें 9 साल बाद टेरिटोरियल आर्मी में कैप्टन के पद पर प्रमोशन भी मिला. सचिन पहले ऐसे राजनेता हैं जिन्हें एसएसबी की परीक्षा पास करने के बाद सेना में शामिल किया गया है.
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आर्मी में शामिल होने पर पायलट ने किया था ट्वीट
जानकारी के लिए बता दे की टेरिटोरियल आर्मी में शामिल होने के बाद सचिन पायलट ने ट्वीट किया- ‘सशस्त्र बलों से प्रेरित होकर, मैं प्रादेशिक सेना में शामिल हो गया, मैंने न केवल एक सपना पूरा किया, बल्कि मैंने भारत की सेवा करने का एक और तरीका खोजा। आज जब हम प्रादेशिक सेना के गठन का जश्न मना रहे हैं, हम वर्दी में पुरुषों और महिलाओं का जश्न मना रहे हैं, जो हमारी सीमाओं, घरों और जीवन शैली की रक्षा करते हैं, जय हिंद’
दरसल, टेरिटोरियल आर्मी भारतीय सेना की ही एक ईकाई है. यह हमारे देश की रक्षापंक्ति की सेकंड लाइन है. टेरिटोरियल आर्मी के वॉलेंटियर्स को हर साल कुछ दिनों का सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर देश की रक्षा के लिए उनकी सेवाएं ली जा सकें. भारतीय संविधान सभा द्वारा सितंबर, 1948 में प्रादेशिक सेना अधिनियम –1948 पारित किया गया था. इसके तहत 1949 में टेरिटोरियल आर्मी स्थापित हुई थी. इसके ऑफिशयल वेबसाइट पर जाकर तय योग्यता और उम्र के तहत कोई भी आवेदन कर सकता है. परीक्षा, फिजिकल और मेडिकल के बाद अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है