Desi jugaad kabaad : नील गाय को भगाने के लिए 22 साल के इस युवा लड़के ने किया अनोखा आविष्कार देखे देसी जुगाड़ जैसा की आप जानते है की आज कल खेती किसान करना कितना मुश्किल काम हो गया है फसल बनाने के लिए किसान को बहुत मेहनत करना पड़ता है ऐसे में फसल को देख रख और बेहद मेहनत करने के बाद में फसल को जानवरो से बचाना होता है ऐसे में किसान रात दिन खेतो में रखवाली करता है आखिर इतनी मेहनत के बाद भी किसान अपनी फसल को जानवरो से नहीं बचा पता है और ये जंगली नील गाय फसल को कहि न कहि नुकसान पंहुचा ही देता है ऐसे में हम आपके लिए आज एक ऐसा जुगाड़ लेकर आये है जिससे आपकी फसल को जंगली जानवरो से बचाया जा सकता है और आपको रात दिन जाग कर रखवाली करने में भी दिक्कत नहीं होगी आपने भारत के देसी जुगाड़ बहुत देखे होंगे पर ये देसी जुगाड़ कुछ अनोखा ही जुगाड़ है तो आईये जानते है इस अनोखे जुगाड़ के बारे में।
Desi jugaad kabaad : नील गाय को भगाने के लिए 22 साल के इस युवा लड़के ने किया अनोखा आविष्कार देखे देसी जुगाड़
आज हम आपको ऐसे किसान के बारे में बतायेगे जिसने बेहद कम उम्र में ऐसे कई अनोखे जुगाड़ बना कर किसानो की मदद करी जिससे उन्हें खेती करने में काफी मदद मिली है तो आईये आज बात करते है खेती और किसानी के जुगाड़ों की।
Desi jugaad kabaad नील गाय को भगाने के लिए किया आविष्कार
Desi jugaad kabaad नील गाय को भगाने के लिए किया आविष्कार नारायण को खेती और किसानों से बेहद लगाव है। यही कारण है कि वह हमेशा उनकी मदद के लिए आविष्कार करने में लगें रहते हैं। किसान के लिए सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है- जानवरों का फसल को नष्ट करना। जानवरों में सबसे ज़्यादा परेशान नील गाय करती हैं। नारायण को पशुओं से भी प्यार है। इसलिए उन्हें मारना या चोटिल करना नारायण को नहीं पसंद। इस बात को ध्यान में रखकर देशी जुगाड़ से ऐसा उपकरण बनाया जिसकी आवाज सुन नील गाय खेतों से भाग जाती हैं। इनका यह आविष्कार सभी को बहुत ही ज़्यादा पसंद आया।

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Desi jugaad का अविष्कार करने वाले किसान का नाम नारायण लाल धाकड़ है
खेती-बाड़ी को आसान बनाने के लिए आज के समय में कई प्रकार की मशीनों का निर्माण कंपनियों के द्वारा किया जा रहा है। ऐसी-ऐसी मशीने बन रहीं हैं जिन्हें देख मन में सवाल आता है कि क्या सच में इन्हें मनुष्य ने ही निर्मित किया है? कम्पनियों के द्वारा रासायनिक खाद के लिए भी मशीन का निर्माण हो रहा है जिससे किसान आसानी से उर्वरक का छिड़काव अपने खेतों में कर सकते हैं। लेकिन एक सत्य यह भी है कि इन सब मशीनों को सभी किसान नहीं खरीद सकते। सभी किसानों की इतनी आमदनी नहीं है कि वे अपने खेतों में उपयोग के लिए इन मशीनों को खरीद सकें। किसानों की इन्हीं परेशानियों को ध्यान में रखते हुए 22 वर्षीय नारायण लाल धाकड़ (Narayan Lal Dhakad) जुगाड़ तकनीक के द्वारा बहुत सारी मशीने बना चुकें हैं। सभी मशीनें किसानों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है।
नारायण के पिता का इनके जन्म से पहले ही हार्ट अटैक से निधन हो गया था इनकी परवरिश मां सीतादेवी ने अकेले की
यह जुगाड़ बनाने वाले किसान के परिवार की बात की जाए तो इनके पिता नारायण के जन्म के पहले ही हार्ट अटैक से निधन हो गया था। इनकी परवरिश मां सीतादेवी ने अकेले की। इनकी दो जुड़वां बहने हैं।
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12 वर्ष की उम्र से ही जाते हैं खेतों में

नारायण जयसिंहपुरा गांव के निवासी हैं। खेती में इन्हें बहुत रुचि थी। बहुत ही कम उम्र में इनके पिता का निधन हो गया। नारायण की दो बहने हैं। तब तीनों बच्चों की परवरिश उनकी मां ने किया। वह खेतों में काम करती थी। नारायण जब 12 वर्ष के थे, तभी से खेतों में जाने लगे थे। वहां सभी चीजों देखते और समझते कि खेती कैसे होती है। जब इनकी 12वीं की पढ़ाई सम्पन हुईं, तब से यह किसानों के लिए नये-नये तकनीक से उपकरण बनाने लगे ताकि किसानों को अपनी खेती में ज्यादा दिक़्क़त ना हो।
खरपतवार को साफ करने लिए बनाई माशिन

हम यह जानते हैं कि अच्छी फसल के लिए सबसे ज़रूरी है, खेत की तैयारी और समय समय पर खेतों की खरपतवार से सफ़ाई। अच्छी उपज के लिए खेतों से खरपतवार को उखाड़कर फेंकना ज़रूरी है। इसलिए नारायण ने देशी जुगाड़ से खरपतवार उखाड़ने वाली माशिन बनाईं।