Aeroponics Potato Farming in India: इस तकनीक से मिट्टी छोड़ हवा में उगाये आलू, कम मेहनत से होगा ज्यादा का मुनाफा, जाने तकनीक भारत में आये दिन खेती करने की नई-नई तकनीकें इजाद की जा रही हैं. इन तकनीकों से उत्पादन तो डबल होता ही है, साथ ही मानव श्रम की भी बचत होती है और किसानों की आमदनी भी बढ़ती है. इनमें से कुछ तकनीकें कफी महंगी हैं, लेकिन सरकार द्वारा दिये जाने वाले आर्थिक अनुदान से अब भारतीय कृषि में कुछ भी मुमकिन है. आप जानकर चौंक जायेंगे कि भारत में एक ऐसी तकनीक भी इजाद की गई है, जिसके तहत हवा में आलू की खेती की जा सकती है. खेती की इस तकनीक को एयरोपॉनिक्स नाम दिया गया है.
Aeroponics Potato Farming: एयरोपॉनिक्स तकनीक क्या है
ये एक ऐसी तकनीक है जिसमे किसान को किसी भी प्रकार की मिटटी की जरुरत नहीं पड़ती और न ही खाद की. बिना जमीन बिना जुताई ही इस तकनीक से दोगुना आलू का उत्पादन सिर्फ पानी के जरिये ले सकते हैं. इस विधि में नर्सरी के जरिये आलू की पौध तैयार की जाती है और उसे ऊंचाई पर लगा दिया जाता है. बढ़वार के लिये आलू की फसल की जड़ों में पानी के जरिये पोषक तत्व पहंचाये जाते हैं और जड़ों के नीचे जालीनुमा टेबल लगा दी जाती है, जिससे आलू की जड़ें जमीन को न छुयें. इससे आलू की पैदावार तो बढ़ती है, साथ ही आलू के बीज उत्पादन में भी बढोत्तरी हो पायेगी.
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Aeroponics Potato Farming: कितना आता है खर्चा
आलू की खेती से जो लाभ किसान खेती में नहीं ले पाते है वे एयरोपॉनिक्स तकनीक से हवा में आलू उगा सकते हैं. इस तकनीक में ज्यादा खर्च नहीं आयेगा, लेकिन आमदनी की बात करें तो इस तकनीक से खेतों में मुकाबले ज्यादा मोदी कमाई किसानों को हो सकती है. विशेषज्ञों की मानें तो एयरोपॉनिक्स आलू की तकनीक से हर 3 महिने में आलू की पकी हुई फसल ली जा सकती है. एयरोपॉनिक तकनीक से आलू उगाने पर खाद, उर्वरक और कीटनाशकों का खर्च नहीं आता. ये तकनीक अपने आप मिट्टी और जमीन की कमी को पूरा करती है, जिसके चलते ये आलू उगाने की किफायती तकनीक भी कहलाती है. इस तकनीक से आलू में सड़, कीड़ा या रोग लगने की संभावना भी नहीं रहती.

Aeroponics Potato Farming: इसका आविष्कार हरियाणा राज्य के करनाल जिले में हुआ
आपको बात दे एयरोपॉनिक्स तकनीक का आविष्कार हरियाणा राज्य के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र में की गई है. वहीं सरकार ने भी ऐरोपोनिक पोटैटो फ़ार्मिंग से आलू की खेती करने की मंजूरी किसानों को दे दी है. इससे किसानी की आमदनी और उनके श्रम की बचत होगी