क्या अपने कभी सोचा है, की बिना स्टीयरिंग के ट्रैन पटरिया कैसे बदलती है, जाने जब भी ट्रेन से आप सफर करते होंगे तो आपने देखा होगा कि कुछ जगहों पर पटरियों का जाल रहता है और ये जाल हर ट्रेन के रूट के हिसाब से एडजस्ट होता है. यहां से ही ट्रेन अपने रूट के साथ घूम जाती है और इन पटरियों को एडजस्ट करके ही रेलवे ट्रेक को बदला जाता है और ट्रेन को घुमाया जाता है. लेकिन, आपने कभी सोचा है कि आखिर ये पटरियां कैसे चेंज होती है और ट्रेन को घूमाने के लिए किस मैकेनिज़्म का इस्तेमाल किया जाता है. तो आज हम आपको रेलवे ट्रैक के सिस्टम के बारे में बताते हैं कि आखिर ये कैसे काम करता है.

आखिर कैसे चेंज होती है पटरिया
आपको बता दे की जहां ट्रेन को लंबा रास्ता तय करना होता है, वहां सीधी पटरी होती है, जिस पर ट्रेन लगातार चलती रहती है. लेकिन, जब ट्रेन को किसी खास रूट पर जाना हो या फिर मुड़ना हो तो वहां पटरियों का ये जाल होता है. यहां पटरी लॉकिंग सिस्टम पर काम करती है और इनसे ही ट्रेन को दिशा मिलती है. आप अगर यहां ध्यान से देखेंगे कि एक पटरी के पास ही एक और पटरी होती है और वहां पटरी थोड़ी घूमी हुई होती है. इसमें इन सपोर्ट वाली पटरी को एडस्ट करके दूसरी पटरी से चिपका दिया जाता है और इससे पटरी की दिशा बदल जाती है.

दरअसल, होता क्या है कि ट्रेन के टायर पटरी में फंसे रहते हैं और यहां उन टायरों को तिरछी पटरी के साथ एडस्ट करके दूसरे ट्रैक से जोड़ दिया जाता है और ट्रेन दूसरे ट्रैक पर चली जाती है. ट्रेन की पटरियों की ये शिफ्टिंग हमेशा चलती रहती है और इससे एक ही ट्रैक पर आने वाली कई पटरियों को दिशा दी जाती है. ऐसे में ट्रेन को मोड़ने में ड्राइवर का कोई हाथ नहीं होता है और ना गाड़ी की तरह इसे स्टीयरिंग के जरिए घुमाया जाता है.

कौन करता है पटरियों को चेंज
अब आप ये बात तो जान ही गए होगे की आखिर ट्रेन किस तरह मुड़ती है और अब जानते हैं इन पटरियों को एडस्ट कौन करता है. बता दें कि पहले यह काम एक रेल कर्मचारी करता था और वो दिनभर इसे मैनुली तरीके से बदलता था, जिसे लाइनमैन कहते हैं. ये ट्रैक के लॉक को शिफ्ट करने का काम करता था. हालांकि, अब यह काम मशीन के जरिए होता है और सिग्नल और रूट के हिसाब से कंट्रोल रूम से यह लॉक चेंज हो जाता है और ऑटोमेटिक ट्रेन के ट्रैक को एडस्ट कर दिया जाता है.