Khajur Farming Business Ideas : खजूर एक नकदी फसल है। इसका उत्पादन करीब 5 से 6 साल में शुरू होता है। लेकिन एक बार यह उत्पादन देना शुरू किया तो एक पेड़ से लगभग 50 हजार रूपए की कमाई की जा सकती है। ऐसे में चलिए जानते हैं खजूर की खेती से जुड़ी पूरी जानकारी।
कहां होता है उत्पादन
खजूर का उत्पादन मुख्यतः भारत के गुजरात, राजस्थान, दक्षिण भारत केरल, तमिलनाडू आदि क्षेत्रों में किया जाता है। इसका उत्पादन कृषि उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कई राज्यों में खजूर की खेती के लिए सरकार सब्सिडी भी देती है। रिपोर्ट की माने तो राजस्थान सरकार द्वारा खजूर उत्पादन के लिए करीब 75 फीसदी सब्सिडी देती है।

खजूर के प्रकार
दुनियाभर में खजूर की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन भारत में लगभग 1000 प्रकार के खजूर पाए जाते हैं। भारत में सबसे ज्यादा उगाई जानी वाली प्रजातियां बरही, खलास, मेडजूल, खुनजी किस्म की खजूर शामिल हैं।
एक पेड़ का उत्पादन
खजूर का उत्पादन 5 से 6 साल में शुरू होता है। लेकिन इसकी खेती से जुड़े जानकार बताते हैं कि एक पेड़ से तकरीबन एक क्विंटल से लेकर दो क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है। ऐसे में यदि 50 रूपए किलो भी यह खजूर बाजार में बिकता है तो 50 हजार रूपए एक पेड़ से आसानी से कमाएं जा सकते हैं।
कितनी आती है लागत
खजूर की खेती ( Khajur Farming Business Ideas ) से जुड़े जानकार बताते है कि इसकी खेती काफी महंगी पड़ती है। पहला यह उत्पादन तकरीबन 5 से 6 साल के दरम्यान देता है। इस दौरान इसकी काफी देखरेख की जरूरत होती है। खजूर की खेती एक मेहनत का व्यवसाय है। दूसरा खजूर के पौधे काफी महंगे आते हैं। एक खजूर को पौधे तकरीबन 3800 रूपए से लेकर 5800 रूपए तक पड़ता है। खजूर के पौधे की कीमत इसकी वैरायटी पर डिपेंड करती है। खजूर की खेती के लिए राजस्थान सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने के बाद वहां के किसानों को यह पौधे तकरीबन से 700 से लेकर 800 रूपए में मिल जाता है।
ऐसी होती है खेती
खजूर की खेती ( Khajur Farming Business Ideas ) अगस्त से सितम्बर महीने के बीच में की जाती है। इस दौरान एक मीटर का 3 बाई 3 फिट का गड्डा खोदा जाता है। जिसमें जिंक, डीएपी, सुपरफास्फेट, गोबर की खाद आदि डालकर पौधा लगाया जाता है। खजूर की खेती ज्यादा पानी वाले स्थान में नहीं की जाती है। जहां ज्यादा मात्रा में बारिश होती है वहां खजूर के पेड़ खराब हो जाते हैं। खजूर की खेती करने के लिए जमीन आदि का भी परीक्षण किया जाता है।