Desi jugaad गरीबी से लाचार परिवार ने ये जुगाड़ कर, 1300 km का रास्ता किया तय, देखे गरीब के दर्द भरी कहानी जैसा की आप सभी जानते है की आय दिन एक से बढ़ कर एक जुगाड़ हमारे भारत में वायरल होते रहते है और लोग काफी हद तक उन्हें पसंद भी करते है और आये दिन सोशल मीडिया पर भी काफी देसी जुगाड़ के वीडियो वायरल होते रहते है इसी में ये एक जुगाड़ का वीडियो तो है पर किसी गरीब व्यक्ति की जीवन की दर्द भरी कहानी भी है जिसे हम आपको बताने जा रहे है
Desi jugaad गरीबी से लाचार परिवार ने ये जुगाड़ कर, 1300 km का रास्ता किया तय, देखे गरीब के दर्द भरी कहानी
यह कहानी लॉक डाउन के समय की कठिन घड़ी की जिस टाइम यह व्यक्ति लॉक डाउन में अपने घर से दूर फसा हुआ था तो आईये बात करते है एक गरीब की है जिसने चौपारण में राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगातार प्रवासी श्रमिकों का काफिला अपने गंतव्य की ओर अग्रसर है। लाचारी , बेबसी और परेशानी के बीच उनके नहीं थकने वाली यात्रा लगातार जारी है। आमतौर पर श्रमिकों का आगमन जहां लॉक डाउन तीन तक पैदल व ट्रकों के माध्यम से हो रहा था।
वही लॉक डाउन के चौथे चरण आते-आते श्रमिकों ने अपने घर पहुंचने के लिए कई तरह के तरीके भी इजाद कर लिए । सरकारों से मिलने वाली सहायता की परवाह किए बिना ही मजदूर अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं।
जिसमे इस व्यक्ति ने जुगाड़ का भी इस्तेमाल किय ऐस जुगाड़ ने इस व्यक्ति की जान बचने में और अपने घर जाने में काफी मदद की अगर यह जुगाड़ ना होता तो इस व्यक्ति का जीवन भी सकंट में पड़ सकता था इस जुगाड़ के जरिये इस वयक्ति ने अपनी और अपने परिवार की जान बचाई और इस जुगाड़ जुगाड़ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर अपने घर पंहुचा था
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Desi jugaad गरीबी से लाचार परिवार ने ये जुगाड़ कर, 1300 km का रास्ता किया तय, देखे गरीब के दर्द भरी कहानी
Desi jugaad गरीबी से लाचार परिवार ने ये जुगाड़ कर, 1300 km का रास्ता किया तय, देखे गरीब के दर्द भरी कहानी ऐसे ही एक बिहारी परिवार ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से बिहार के कैमूर तक की लगभग 13 सौ किलोमीटर की यात्रा 6 दिनों में पूरी की। कैमूर के मिथिलेश अपनी पत्नी व उसके दो भाइयों के साथ मोपेड में अतिरिक्त स्टैंड लगाकर कुल चार लोग चौपारण तक पहुंचे। यहां से मात्र 200 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद उनका अपने घर कैमूर बिहार पहुंचना शेष है।

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दरअसल यह परिवार विशाखापट्टनम में आइसक्रीम बेचने का काम करता है । आपदा आरंभ होते ही घर पहुंचने की ललक थी। लेकिन रेल सेवा, सड़क सेवा बाधित हो जाने की वजह से सभी लाचार व परेशान थे। तब उन्होंने एक नया तरीका इजाद किया। लूना बाइक में दो बड़े पहिए लगाकर व स्टैंड लगा कर दो अतिरिक्त लोगों को बैठने की व्यवस्था कर डाली। इसके बाद सभी विशाखापट्टनम से अपने घर की ओर निकल पड़े।
एक दिन में औसतन डेढ़ सौ से 200 किलोमीटर का सफर तय करने लगे
एक दिन में औसतन डेढ़ सौ से 200 किलोमीटर यात्रा की जाने लगी। सभी अपने गांव के नजदीक पहुंचने की खुशी में थे। बहहाल उनका यह प्रयास अनूठा दिखा तथा सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे रहने वाले लोगों ने प्रवासी मजदूरों के इस प्रयास को काफी गौर करते हुए देखे गए।