Desi jugaad : गरीब मजदूर के लाडले ने जुगाड़ से बना दी ये अनोखी मशीन, जुगाड़ देख बड़े-बड़े इंजिनियर भी रह गए भौचक्के भारत में आपने कई जुगाड़ देखे होंगे जिसमे अनेको प्रकार के जुगाड़ होते है ऐसे में कई देसी जुगाड़ सोसल मिडिया पर वायरल होते नजर आते है और ये अनोखे देसी जुगाड़ देख विदेश के लोग भी हैरान हो जाते है की आखिर भारतीय लोगो के पास इतना तेजस्वी दिमाग कहा से आ जाता है की ऐसे नए नए जुगाड़ से बड़े बड़े अविष्कार कर देते है आज हम फिर आपके लिए गांव कसबे के एक गरीब घर के लड़के की कहानी बताने जा रहे है जिसने काफी मस्कत के बाद अपने माँ बाप को काम से राहत मिले ऐसे देसी जुगाड़ कर दिया है तो आईये इस के देसी जुगाड़ के बारे में हम आपको जानकारी बतायेगे की कैसे ये जुगाड़ बनाया गया और कैसे इस जुगाड़ का उपयोगे किया जाता है
Desi jugaad : गरीब मजदूर के लाडले ने जुगाड़ से बना दी ये अनोखी मशीन, जुगाड़ देख बड़े-बड़े इंजिनियर भी रह गए भौचक्के

भारत देस की बात की जाए तो यहाँ के लोगो के आगे असंभव नाम की कोई चीज नहीं होती है यह असंभव को भी संभव करने की छमता रखते है और हर वो काम कर दिखाए है जो असंभव हो ऐसे ऐसे देसी जुगाड़ लगा कर अपना काम कर लेते है को विदेशी लोग वह सोच भी नहीं सकते है
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गरीब मजदूर के लाडले ने जुगाड़ से बना दी ये अनोखी मशीन
भारत में आपने कई जुगाड़ देखे होंगे जिसमे अनेको प्रकार के जुगाड़ होते है ऐसे में कई देसी जुगाड़ सोसल मिडिया पर वायरल होते नजर आते है और ये अनोखे देसी जुगाड़ देख विदेश के लोग भी हैरान हो जाते है की आखिर भारतीय लोगो के पास इतना तेजस्वी दिमाग कहा से आ जाता है की ऐसे नए नए जुगाड़ से बड़े बड़े अविष्कार कर देते है आज हम फिर आपके लिए गांव कसबे के एक गरीब घर के लड़के की कहानी बताने जा रहे है जिसने काफी मस्कत के बाद अपने माँ बाप को काम से राहत मिले ऐसे देसी जुगाड़ कर दिया है
यूपी के बांदा की नरैनी तहसील के गांव छतफरा के रहने वाले 23 वर्षीय विनय कुमार ने बनाया ये देसी जुगाड़
यूपी के बांदा की नरैनी तहसील के गांव छतफरा के रहने वाले 23 वर्षीय विनय कुमार ने बनाया ये देसी जुगाड़ ये कुछ महीने पहले सोशल मीडिया पर सुर्खियों में आए थे। मजदूर मां-बाप के बेटे ने ग्रेजुएशन किया है। लेकिन जॉब नहीं मिली, तो घर पर ही रहकर कामधंधा करने लगे। एक बार उनका ध्यान किसानों पर गया, जो अनाज छानने में परेशानी का सामना कर रहे थे। अनाज ठीक से साफ भी नहीं हो रहा था और समय भी ज्यादा लग रहा था। बस फिर क्या था.. विनय के दिमाग में आइडिया आया और उन्होंने कबाड़ में पड़े एक ड्रम, हैंडल और जाल की जुगाड़ से बड़ी छलनी बना दी।
क्या है इस अनोखी देसी जुगाड़ मशीन की खासियत
विनय की इस मशीन में गेहूं, चना, मूंग सहित अन्य फसल आसानी से साफ होती है।
विनय कुमार को प्रौद्योगिकी परिषद, लखनऊ ने 20 हजार रुपये का पुरस्कार भी दिया
आपको बता दे की ये देसी जुगाड़ का अविष्कार करने पर विनय कुमार को प्रौद्योगिकी परिषद, लखनऊ ने 20 हजार रुपये का पुरस्कार भी दिया गया और इसके बाद में गांव वालो की नजरो में विनय की काफी इज्जत भी बढ़ गयी और काफी लोग विनय को जान ने पहचानने भी लगे है
मात्र 5 हजार रूपए में बनाया ये विनय ने ये देसी जुगाड़
मात्र 5 हजार रूपए में बनाया ये विनय ने ये देसी जुगाड़ विनय ने बताया कि उन्होंने ड्रम के दोनों तरफ बेयरिंग लगाकर बेलनाकार आकृति बनाई। इसके ऊपर अलग-अलग साइज की दो जालियां कंस दीं। जब हैंडल घुमाते हैं, तो अनाज एक तरफ से बेलनाकार ड्रम में चला जाता है। इसके बाद हैंडल घुमाने से अनाज और गंदगी जाल से छनकर अलग जाती है।इ स मशीन के निर्माण में सिर्फ साढ़े पांच हजार रुपये खर्च हुए। वहीं, मशीन से दिन भर की मजदूरी का काम दो घंटे में हो जाता है।