Electric गाड़ियों के बारे में ये खाश बात जान लोंगे तो बिना EV खरीदेंगे रहा नहीं जाएगा इतनी खाश है ये बात ?इलेक्ट्रिक गाड़ी लेने के लिए मन बनता है व्यक्ति तो दस लोग दस तरह की बात बताने लगते है इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कमी बता कर उनका मन खट्टा कर दिया जाता है और जो इलेक्ट्रिक कार लेने का सोच रहा होता है वो भी नहीं लेता है पर ये गलत है की इलेक्ट्रिक गाड़ियों में कोई कमी है आज कल पेट्रोल डीजल के दाम दिनों दिन बढ़ते जा रहे है जिसकी वजह से गाड़िया मेंटेन करना बहुत महंगा हो गया है पर वही अगर इलेक्ट्रिक गाडी ले तो ये बला सर से ताल जायेगी और आप आसानी से गाडी का मेंटेनस कर पाओगे कुछ लोगो को कहना है की न गाड़ी चलाने वाली फील नहीं आती.’ये बात अक्सर हमारे कानों में पड़ती है. इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इंजन की आवाज़ नहीं होने की वजह से लोग इन्हें खारिज कर देते हैं और EV चलाने वालों का मज़ाक भी बनाते हैं. अब कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना. पर अगर आप EV से जुड़ी ये बातें जान लेंगे तो आप लोगों की सोचे बिना अपनी अगली गाड़ी EV ही लेंगे.
Electric गाड़ियों के बारे में ये खाश बात जान लोंगे तो बिना EV खरीदेंगे रहा नहीं जाएगा इतनी खाश है ये बात इलेक्ट्रिक व्हीकल की जैसी जैसे आवश्यकता बढ़ेगी वैसे वैसे उसकी लोगो की पसंद बनते चली जायेगी नीति आयोग के ई-अमृत पोर्टल पर दी गई जानकारी के मुताबिक, भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली 139 कंपनियां हैं. इनमें से 39 टू-व्हीलर, 81 थ्री-व्हीलर और 39 कंपनियां फोर-व्हीलर गाड़ियां बनाती हैं. रोजगार सिर्फ ईवी मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स में नहीं बल्कि बैटरी और गाड़ियों के स्पेयर पार्ट्स बनाने वाली इंडस्ट्रीज़ में भी जमा होंगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि EV इंडस्ट्री में 2030 के अंत तक पांच करोड़ से ज्यादा डायरेक्ट और इनडायरेक्ट जॉब्स क्रिएट होंगे.और रोजगार बढ़ेगा बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में भी मदद करेगा

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EV के आने से इन फ्यूल्स की खपत कम होगी और हमारी निर्भरता खाड़ी देशों पर कम होगी.
पेट्रोल और डीज़ल फॉसिल फ्यूल्स हैं. वो लिमिटेड ही हैं. इस वजह से जितनी उनकी खपत होगी, वो उतने महंगे होते जाएंगे. इन फ्यूल्स के लिए भारत पूरी तरह से खाड़ी देशों पर निर्भर है. EV के आने से इन फ्यूल्स की खपत कम होगी और हमारी निर्भरता खाड़ी देशों पर कम होगी.
Electric गाड़ियों के चलन से प्रदूषण में कमी आएगी
पेट्रोल और डीज़ल से चलने वाली गाड़ियां कार्बन उत्सर्जित करती हैं. इससे प्रदूषण बढ़ता है. गाड़ियों से निकलने वाला धुआं PM2.5 में 20 से 30 प्रतिशत का योगदान देता है. इसके साथ ही गाड़ियों के इंजन से आने वाली आवाज़ ध्वनि प्रदूषण बढ़ाती हैं. जबकि इलेक्ट्रिक गाड़ियों में न तो टेलपाइप से धुआं निकलता है और न ही इंजन की आवाज़ आती है. यानी साफ हवा और साफ हवा का मतलब है स्वस्थ लोग. भारत का लक्ष्य है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों को पूरी तरह ग्रीन बनाया जाए, इसके लिए भारत का प्लान है कि 2030 तक कम से कम 40 प्रतिशत चार्जिंग स्टेशंस ऐसे बनाए जाएं जो रिन्यूएबल सोर्स ऑफ एनर्जी से पावर होते हों.

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Electric गाड़ियों को मेंटेनस भी सस्ता पड़ेगा और सुविधा भी अच्छी मिलेगी
EV चलाते हुए आप पेट्रोल पंप की लंबी कतारों से छुट्टी पा सकते हैं. क्योंकि इन गाड़ियों को आप अपने घर पर ही चार्ज कर सकते हैं. रात में चार्ज पर लगाकर छोड़ दीजिए, अगली सुबह गाड़ी आपको तैयार मिलेगी. वहीं, इन गाड़ियों को रेगुलर सर्विस भी नहीं लगती है. फोन की तरह ही इनका सॉफ्टवेयर अपडेट आपके पास आएगा. फोन से ही आप अपनी गाड़ी को अपडेट कर सकते हैं. है न सिंपल? इसके साथ ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस कम्पैरेटिवली कम लगता है.
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की एक और सबसे बड़ी खाश बात ये है की वह गाडी की बैट्ररी सिस्टम काफी पॉवर फुल होता है एग्जैक्टली वही काम ईवी की बैटरीज़ से किया जा सकता है. बेनिफिट ये है कि ईवी की बैटरियां आम पेट्रोल-गाड़ियों में लगने वाली बैटरीज़ से ज्यादा पावरफुल होती हैं. इनसे एक पूरे घर या बिल्डिंग को रोशन किया जा सकता है. कई EVs में बाइडायरेक्शनल चार्जिंग टेक्नोलॉजी इस्तेमाल होती है, माने ईवी की बैटरी एक बड़े और ज्यादा पावरफुल पावर बैंक की तरह काम कर सकती है. आपको बता दें कि भारत सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा दे रही है. उसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर रही है, ताकि गाड़ियों के मामले में भारत की निर्भरता दूसरे देशों पर कम की जा सके.