Pearl Farming शुरू करके महीने के लाखों रूपए कमाए जा सकते हैं। इसकी खेती के लिए सरकार की ओर से 50 फीसदी सब्सिडी भी दी जाती है।
Pearl Farming : मोती की खेती लाभ का बिजनेस है। जिसे देशभर में कई किसान करके तगड़ा मुनाफा कमा रहे है। मोती की खेती सबसे ज्यादा गुजरात, बेंगलुरू व ओडिशा क्षेत्र में की जाती है। यहां के किसान मोती की खेती करके लखपति बन रहे हैं। देश की कई राज्य सरकारें मोती की खेती को बढ़ावा देने के लिए 50 फीसदी तक सब्सिडी भी देती है। ताकि किसान परम्परागत खेती के साथ ही मोती की खेती करके खुद समृद्धशाली बन सके।

ट्रेनिंग की होती है जरूरत
मोती की खेती (Pearl Farming) कैसे की जाती है इसकी ट्रेनिंग देश की कई संस्थाएं फ्री में बकायदा देती हैं। मोती की कुशल खेती के लिए वैज्ञानिकों का कुशल प्रशिक्षण लेना बेहद जरूरी है। मोती की खेती जल भराव अथवा तालाब क्षेत्र में की जाती है। जिसे स्वयं के व्यय से किया जा सकता है अथवा सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी की मदद से इस बिजनेस की शुरूआत की जा सकती है।
ऐसे होती है खेती
मोती की खेती (Pearl Farming) के लिए सबसे पहले तालाब के पानी में सीप को एक जाल में बांधकर करीब 15 दिन तक रखा जाता है। जब इसमें धूप व हवा लग जाती है तो सीप का कवच व मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं। फिर सीप को बाहर निकालकर सर्जरी की जाती है। सर्जरी से मतलब यह है कि सीप में एक पार्टिक या सांचा डाल दिया जाता है। जिस तरह का आप इसमें सांचा डालेंगे वैसा ही मोती का डिजाइन तैयार होगा। सीप का लेयर बाद में मोती के डिजाइन में तैयार हो जाता है।

ऐसे होंगी कमाई
मान लीजिए आप एक एकड़ तालाब में मोती की खेती (Pearl Farming) करते हैं। जिसमें लगभग 8 लाख रूपए तक का खर्च आता है। एक सीप में 2 मोती भी तैयार होते हैं, और यह मोती 120 रूपए प्रति नग सेल होते हैं। तो एक सीप से आपको सीधे 240 का प्रॉफिट होगा। रिपोर्ट की माने तो मोती यदि अच्छी क्वालिटी की है तो वह 200 रूपए तक भी सेल हो सकती हैं। ऐसे में यदि 50 फीसदी भी मोती अच्छी क्वालिटी के निकल आते हैं तो इनसे आप 30 लाख रूपए तक की आय कर सकते हैं।