Saturday, September 30, 2023
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भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने सोयाबीन की 3 किस्में विकसित की, इसे मध्य प्रदेश सरकार ने दी मंजूरी

सोयाबीन की नई वेरायटी 2023: भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने सोयाबीन की 3 किस्में विकसित की, मध्यप्रदेश किसानो को मिलेगा फायदा मध्य प्रदेश के किसानों के लिए सोयाबीन की 3 नई उन्नत किस्मों को मंजूरी मिल गई है। सोयाबीन की यह 3 किस्में इंदौर अनुसंधान संस्थान ने तैयार की है। सोयाबीन की वेसे तो कई सारी अच्छी वैरायटी बाजार में उपलब्ध है। जहाँ नई किस्में कीट रोगों की प्रतिरोधक होती है वहीँ इनसे अधिक उत्पादन भी प्राप्त होता है। जिससे खेती की लागत तो कम होती ही है साथ ही किसानों को लाभ भी अधिक होता है। ऐसी ही कुछ सोयाबीन की किस्में भारत के वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई हैं जो देश को तिलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।

इन 3 किस्मों को मिली मंजूरी

सोयाबीन पर अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों के लिए भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान’ (IISR), इंदौर द्वारा पिछले कुछ वर्षों से लगातार नई किस्मों Soybean New variety mp 2023 का विकास किया जा रहा है। आईसीएआर-आईआईएसआर द्वारा किए गए लगातार प्रयासों में, संस्थान ने सोयाबीन की तीन किस्में यानी NRC 157, NRC 131 और NRC 136 विकसित की हैं, जिन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है।

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क्या है इन नई किस्मो की खासियत

आपको बता दे की, प्रधान वैज्ञानिक और ब्रीडर डॉ संजय गुप्ता ने कहा कि एनआरसी 157 (आईएस 157) मध्यम अवधि की किस्म Soybean New variety mp 2023 है जो सिर्फ 94 दिनों में पक जाती है। इसकी औसत उपज 26.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और यह अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट, बैक्टीरियल पस्ट्यूल और टारगेट लीफ स्पॉट जैसी बीमारियों के लिए भी मध्यम प्रतिरोधी है।

संस्थान में फील्ड परीक्षणों ने NRC 157 को न्यूनतम उपज हानियों के साथ देरी से रोपण 20 जुलाई तक के लिए उपयुक्त पाया है। एक अन्य किस्म, NRC 131 IAS131 के बारे में उन्होंने कहा कि यह 93 दिनों की मध्यम अवधि की किस्म Soybean New variety mp 2023 है, जिसकी औसत उपज 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह किस्म चारकोल रॉट और टार्गेट लीफ स्पॉट जैसी बीमारियों के लिए मध्यम प्रतिरोधी है।

मध्य प्रदेश जानिए कौन कौन से किस्मे हुई जारी

इन दो किस्मों Soybean New variety MP 2023 के साथ, NRC136 (आईएस 136) जो पहले से ही देश के पूर्वी क्षेत्र में खेती के लिए अधिसूचित है, को भी इस वर्ष मध्य प्रदेश में खेती के लिए जारी किया गया है। इस किस्म के ब्रीडर और संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ ज्ञानेश कुमार सतपुते ने कहा कि यह किस्म 105 दिनों में 27 क्विंटल/हेक्टेयर की औसत उपज के साथ परिपक्व हो जाती है, एनआरसी 136 एमवायएमवी (मूंग बीन येलो मोज़ेक वायरस) के लिए मध्यम प्रतिरोधी है और भारत की पहली सूखा सहिष्णु किस्म है।

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एनआरसी प्रजातियों की यह किस्में रोग प्रतिरोधक है

सोयाबीन किस्म Soybean New variety mp 2023 एनआरसी 149 में उत्तरी मैदानी क्षेत्र के प्रमुख पीला मोेक रोग, राइोक्टोनिया एरियल ब्लाइट के साथ-साथ गर्डल बीटल और पर्णभक्षी कीटों के लिए प्रतिरोधी हैं। एनआरसी 152 नामक किस्म अतिशीघ्र पकने वाली (90 दिनों से कम), खाद्य गुणों के लिए उपयुक्त तथा अपौष्टिक क्लुनिट् ट्रिप्सिंग इनहिबिटर और लाइपोक्सीजेनेस एसिड-2 जैसे अवांछनीय लक्षणों से मुक्त है।

मध्य प्रदेश के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध जबलपुर केंद्र से विकसित सोयाबीन NRC soybean ki kismen) की एक अन्य किस्म Soybean New variety mp 2023 जेएस 21-72 पीला मोक वायरस, चारकोल रोट, बैक्टीरियल पस्ट्यूल और लीफ स्पाट रोग के लिए प्रतिरोधी होने के साथ 98 दिन में पककर उत्पादन देने में सक्षम है। समापन सत्र सहायक महानिदेशक तिल एवं दलहन डा. संजीव गुप्ता की अध्यक्षता में हुआ। इस बैठक में देशभर के 33 केंद्रों के 150 विज्ञानियों ने भाग लिया

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