Broccoli Framing: भारतीय बाजारों में काफी धूम मचा रही यह विदेशी सब्जी, किसान कमा रहे अच्छा मुनाफा, जाने खेती का तरीका.आजकल भारतीय बाजारों में देशी सब्जियों से ज्यादा विदेशी सब्जियों का ही बोलबाला चल रहा है। फाइव स्टार होटलों से लेकर मॉल और अब मंडियों में भी इन सब्जियों को काफी बेहतर दामों पर बेचा जाता है, जिसके बाद ये सब्जियां अमीर लोगो की पहली पसंद बन रही है. बता दे की हम बात करे रहे हैं ब्रोकली की, जो किसानों के बीच हरी गोभी (Green Cabbage) के नाम से काफी फेमस है. ये विदेशी सब्जी आजकल बाजारों में खूब धमाल मचा रही है। यह खाने में काफी लाजवाब होती है।
सेहत की खान होती है ब्रोकली

आपको बता दे की ब्रोकली स्वाद के साथ ही सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है, जो फूलगोभी और पत्तागोभी की तुलना में कहीं अधिक फायदेमंद और मुनाफेदार भी है. इसकी खेती करके आप केवल 75 दिनों के अंदर 15 लाख तक की आमदनी भी ले सकते हैं. लेकिन ये निर्भर करता है खेती की तकनीक और मार्केटिंग करने के तरीके पर.आइये जानते है इसके बारे मे …
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भारतीय बाजारों में काफी धूम मचा रही यह विदेशी सब्जी, किसान कमा रहे अच्छा मुनाफा, जाने खेती का तरीका
ब्रोकली की खेती के लिये उपयुक्त मौसम
बता दे की पोषक तत्वों से भरपूर, ब्रोकली की खेती के लिये सबसे उपयुक्त मौसम सर्द मौसम या सामान्य मौसम माना गया है। भारत की जलवायु के अनुसार सितंबर से लेकर अक्टूबर माह के बीच ब्रोकली की नर्सरी तैयार की जा सकती है।
ब्रोकली की खेती के लिये उपयुक्त मिटटी
आपको बता दे की ब्रोकली की खेती के लिये जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी गयी है. ध्यान रखें कि मिट्टी का पीएच मान सिर्फ 6 से 6.5 के बीच रहना चाहिये. कार्बनिक पदार्थों वाली मिट्टी में ब्रोकली का बेहतर उत्पादन भी ले सकते हैं. इसके लिये वर्मीकंपोस्ट खाद का प्रयोग भी कर सकते हैं।
सुरक्षित पैदावार के लिये पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस में करें ब्रोकली की खेती

बता दे की ब्रोकली की खेती करने के लिये आपको एक हेक्टेयर खेत में लगभग 400 से 500 ग्राम बीज लग जाते हैं, जिनका बीजोपचार करके नर्सरी तैयार की जाती है। किसान चाहें तो सुरक्षित पैदावार के लिये पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस में भी ब्रोकली की फसल लगा सकते हैं। और अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है।
इस तरह करे ब्रोकली की देखभाल
- नर्सरी में ब्रोकली पौधे तैयार होने के बाद खेतों में या संरक्षित ढांचे में इसकी रोपाई कर दी जाती है।
- रोपाई करते समय इन बातो को ध्यान रखे की लाइनों के बीच 45 सेंमी. और पौधों के बीच करीब 30 सेंमी. तक दूरी रखनी चाहिये, ताकि निराई-गुड़ाई और फसल की निगरानी में आसानी बानी रहे।
- मिट्टी की जांच के आधार पर ही खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है।
- 10 से 12 दिन के अंदर ड्रिप सिंचाई विधि से पानी दिया जाता है, जिससे पानी की भी काफी बचत होती है।
- ब्रोकली की फसल में अकसर खरपतवार निकल आते हैं, जिन्हें निराई-गुडाई करके उखाड़ सकते हैं।
- फसल में कीट-रोगों के प्रबंधन के लिये विशेषज्ञों की सलाहनुसार गौमूत्र और नीम से बने कीटनाशक का प्रयोग भी कर सकते हैं।
ब्रोकली के खेती में करे जैविक तरीकों का उपयोग
आपको बता दे की ब्रोकली की फसल में जितनी साफ-सफाई और जैविक तरीकों का उपयोग किया जायेगा, उतना ही बेहतर उत्पादन आप ले सकते हैं.और जितना बेहतर उत्पादन होगा उतना ही तगड़ा आपको मुनाफा होगा।