Bageshwar Dham : क्या आपको पता है की हनुमान जी की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए, सुनिए बाघेश्वर सरकार से……..
हनुमान जी परिक्रमा : शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए परिक्रमा की अलग संख्या निर्धारित है. इस संबंध में शास्त्रों में कहा गया है कि परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और पाप नष्ट होते है. ऐसे में हनुमान जी की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए इसका जवाब बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने दिया है.
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए कितनी परिक्रमा करनी पड़ती है
बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) में आस्था रखने वालों का कहना है कि बागेश्वर बालाजी यानी हनुमान जी महराज बड़े शक्तिशाली हैं. उनकी महिमा अपरंपार है. जहां बागेश्वर सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) अपना दिव्य दरबार लगाने के अलावा ‘राम’ नाम की महिमा और सनातन धर्म का गुणगान करते हुए अपने प्रवचनों के अलावा भक्तों से संवाद करते हैं.
पांच दिन या सात दिन की कथा सुनने के लिए दूर से आए भक्त जब रात में कहीं जाने के बजाये बागेश्वर बाबा के दर्शन के लिए डटे रहते हैं तब वो भी अपने भक्तों को निराश नहीं करते. वो रात में दो या तीन बजे उनके बीच पहुंच कर संवाद करने लगते हैं. उनके श्रद्धालु जब भी अपने आराध्य के दर्शनों की गुहार लगाते हैं तो कई बार तो फौरन उनकी विनती सुन ली जाती है.
बागेश्वर सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार हनुमान जी की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए?
बागेश्वर सरकार के साथ हाल ही में हुए एक सीधे संवाद में जब एक भक्त ने अपने मन की बात पूछते हुए कहा, ‘गुरू जी प्रणाम. जय जय सीता राम. मेरा सवाल है कि हनुमान जी की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए, और क्या हनुमान जी की पीठ की तरफ से कुछ मन्नत मांगनी चाहिए’, तभी बाबा ने अपने चिरपरिचित अंदाज में उसका अगला सवाल शुरू होने से पहले उसे रोकते हुए कहा- ‘काहे सामने से नई सुनत का’. इसके बाद भक्त ने बात पूरी करते हुए कहा कि वो किसी मंदिर में जाते हैं जहां बाबा की पीठ की तरफ वाली दीवार पर लोग माथा लगाकर मन्नत मांगते हैं, इस वजह से उसके मन में ये सवाल आया.

बागेश्वर सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जवाब
तब उस भक्त की जिज्ञासा शांत करते हुए उन्होंने कहा, ‘ये बड़ा जरूरी सवाल है, वैसे तो श्री हनुमानजी की 7 परिक्रमा का वर्णन है, लेकिन हमारा जो मंतव्य है वो यह कि भगवान का भजन और उनकी परिक्रमा गिनती से नहीं होना चाहिए, क्योंकि जब वो हम लोगों को अनलिमिटेड दे रहे हैं तो हम लोगों को भी अनलिमिटेड करना चाहिए, ऐसे में जितनी सामर्थ्य हो उतना भजन और परिक्रमा करनी चाहिए. अब दूसरे सवाल का जवाब भी ले लो कि क्या हनुमानजी की पीठ पीछे मन्नत मांगनी चाहिए तो मैं कहूंगा कि आगे से न सुनैं तो पाछै मांगौ. लेकिन कोशिश सामने से ही करो. लोगों का ये भाव रहता है कि पीछे से मन्नत मांगने पर जल्दी पुकार सुनते हैं. अब रामायण के हिसाब से सुनो ‘सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं।
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जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं॥ यानी जब जब जीव भगवान के सामने आता है, तो करोड़ों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसलिए परमात्मा के सामने से ही मांगना चाहिए.’
बागेश्वर धाम के सरकार पंडित धीरेंद्र शास्त्री का भाव, स्वभाव, बुंदेलखंडी बोली और उनका लहजा लोगों को खूब पसंद आता है. वो पंडाल के आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति से भी बात करते हैं तो उसे लगता है कि मानो वह उनके सामने और नजदीक बैठा है, ऐसा लोगों का अनुभव है. सोशल मीडिया पर भी उनकी खूब चर्चा होती है.
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