अक्षय तृतीया पर्व इस साल 3 मई 2022 को पड़ रही हैं। हिन्दू धर्म में इस दिन मांगलिक कार्य करना बेहद शुभ माना गया है।
अक्षय तृतीया पर्व मई माह की 3 तारीख को मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म में इस दिन मांगलिक कार्य बेहद शुभ माने जाने हैं। मांगलिक कार्य के अलावा आभूषण खरीदना, वाहन खरीदना आदि तरह के कार्य अति शुभ माने जाते है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
शुभ मुर्हूत
अक्षय तृतीया 3 मई 2022 को सुबह 5 बजकर 19 मिनट से शुरू होगी। जिसका समापन 4 मई की सुबह 7 बजकर 33 मिनट पर होगा। अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र सुबह 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर 4 मई की सुबह 3 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
अक्षय तृतीया का महत्व
हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया पर्व का बड़ महत्व हैं। इस दिन कई तरह के मांगलिक कार्यक्रम बेहद शुभ माने जाते हैं। अक्षय तृतीया के मौके बड़ी संख्या में वैवाहिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा वस्त्र, सोने-चांदी के आभूषण, वाहन, प्रॉपर्टी, आदि की खरीददारी भी अति शुभ मानी गई है। अक्षय तृतीय पर किया गया दान-पुण्य अति फलदायी होता है। मान्यता कि इस दिन किया गया दान-पुण्य धन-धान्य में खूब बढ़ोतरी करता है।
तो इसलिए मनाई जाती है अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया पर्व को लेकर तरह-तरह की मान्यताएं हैं। अक्षय तृतीया को लेकर माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। इसी तरह अक्षय तृतीया पर मान्यता है कि भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा धरती लोक पर अवतरित हुई थी। अक्षय तृतीया के दिन मां अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन रसोई घर और अनाज की पूजा भी की जाती है। ठीक इसी प्रकार अक्षय तृतीया पर नर-नारायण ने भी अवतार लिया था। अक्षय तृतीया पर्व पर मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने वनवास के दरम्यान पांडवों को अक्षय पत्र भेंट किया था। कहा जाता है कि अक्षय पात्र कभी खाली नहीं रहता है। वह हमेशा अन्न से भरा रहता है।
नोट – इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पौराणिक कथाओं व मान्यताओं पर आधारित है। इसलिए यह बताना जरूरी है कि किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।