Succuss Story : मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती हैं बिल्कुल सही सुना आपने हम जो खबर आपको बताने जा रहे हैं वह बिल्कुल सौ आना सच है.
मध्य प्रदेश सिविल जज परिणाम ओबीसी वर्ग में द्वितीय स्थान पाने वाले सतना जिले के अमरपाटन के रहने वाले शिवाकांत कुशवाहा चार बार सिविल जज की परीक्षा में बैठे हैं लेकिन सफलता नहीं मिली पांचवी और आखिरी बार सफलता हाथ लगी इस बार घोषित परीक्षा परिणाम में ओबीसी वर्ग से प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है बड़ी मेहनत कठिनाई परिश्रम के बल पर शिवाकांत कुशवाहा यह मुकाम हासिल किया है.
सतना जिले के अमरपाटन गरीब परिवार में पैदा हुए शिवाकांत कुशवाहा के पिता कुंजी लाल कुशवाहा मजदूरी करके पूरे परिवार का भरण पोषण करते थे मां भी बेटों को पालने के लिए मजदूरी करती थी जो अब नही रही चार भाई एक बहन में शिवाकांत कुशवाहा दूसरे नंबर है बचपन से ही पढ़ाई में लग्न थी लेकिन घर की दयनीय स्थिति को देखते हुए पढ़ाई के साथ साथ सब्जी का ठेला लगाना पड़ता है तब जाकर परिवार का भरण पोषण होता था लेकिन हार नहीं मानी और परिणाम सामने है.

शिवाकांत कुशवाहा ने कहा ली शिक्षा दीक्षा
शिवाकांत कुशवाहा प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हाई स्कूल एवं हायर सेकंडरी की परीक्षा अमरपाटन में शासकीय विद्यालय में ग्रहण की उसके बाद का रीवा के टी आर एस कॉलेज यानी कि ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय LLB करने के बाद कोर्ट में प्रैक्टिस के साथ-साथ सिविल जज की तैयारी चलती रहीं चार बार असफल होने के बाद भी पांचवी बार प्रदेश में ओबीसी वर्ग में द्वितीय स्थान प्राप्त किया.
घर की माली हालत खराब होने के कारण सब्जी एवं गन्ने का ठेला
शिवाकांत कुशवाहा ने बताया कि मेरे घर की हालत अच्छी नहीं थी मेरे माता पिता मजदूरी करते थे और सब्जी बेचा करते थे जो पैसे मिलते थे तो शाम का राशन लाया करता था उसके बाद घर में चूल्हे जलते थे मैं प्रतिदिन राशन लेने जाता था एक दिन राशन लेने गया था तभी मौसम खराब हुआ और मैं राशन लेकर आ रहा था अचानक पानी गिरा और मैं गिर गया मेरे सर में चोट लगी और मैं पढ़ा रहा जब देर रात तक नहीं आया मां ढूंढते हुए मेरे को बेहोश हालत में घर ले गई लगता था कि पढ़ लिखकर कुछ बन जाऊ अपने घर की गरीबी हटा दू.

मां का सपना था बेटा जज बने
शिवाकांत की मां शकुन बाई कुशवाहा जिन्होंने मजदूरी एवं सब्जी का ठेला लगाकर परिवार का भरण पोषण करती थी उनकी मां कैंसर के कारण वर्ष 2013 में निधन हो गया लेकिन मां का सपना था मेरा बेटा जज बने मां के जीते जी सपना तो नहीं पूरा कर सका लेकिन अब मेरी यह उपलब्धि मेरी मां को समर्पित है.
सफलता का श्रेय
मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा में ओबीसी वर्ग से प्रदेश की स्थान प्राप्त करने वाले शिवाकांत कुशवाहा ने इस उपलब्धि पर अपने पिता कुंजी लाल कुशवाहा बड़े भाई शिव लाल कुशवाहा बहन लक्ष्मी कुशवाहा छोटा भाई मनीष कुशवाहा पत्नी मधु कुशवाहा के साथ कई इष्ट मित्र शुभचिंतकों का गुरुओं का आशीर्वाद रहा जिनकी बदौलत सफलता हासिल हुई.

पत्नी भी देती थी पति का साथ
शिवाकांत कुशवाहा की पत्नी मधु कुशवाहा पेशे से प्राइवेट स्कूल में टीचर है वह बताती है कि मेरे पति 24 घंटे में 20 घंटे पढ़ाई करते थे पढ़ाई करने के लिए दूसरे घर चले जाते थे पहले तो मैं मदद नहीं करती थी लेकिन जब वह मेंस पेपर देकर कॉपी लेकर आते थे उनकी राइटिंग इतनी अच्छी नहीं थी मैं कापी चेक करती थी और जहां गलती होती थी वहा गोला लगा देती थीं.
Also Read- Small Business Idea : 20 हजार रूपए लगाकर शुरू करें यह औषधीय खेती, सीधे होगा 3 लाख का मुनाफा