रीवा। शासन द्वारा दिये गये पर्याप्त वेतन से शासकीय कर्मचारियों का पेट नहीं भरता। अधिक पैसे की भूख एक ओर जहां इज्जत गंवाती है वहीं दूसरी ओर नौकरी भी दांव में लगी होती है। कमीशनखोरी में शासन की सभी योजनायें खोखली साबित हो रही है। सरकारी महकमें में भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि चपरासी से लेकर अधिकारी तक बिना घूंस के काम करने को तैयार नहीं है। जबकि आये दिन लोकायुक्त की टीम किसी न किसी को रंगेहाथ पकड़ रही उसके बावजूद भी सरकारी अमला सुधरने का नाम नहीं ले रहा।
बुधवार को लोकायुक्त रीवा ने सतना जिले के उचेहरा जनपद पंचायत के कार्यपालन अधिकारी अरविंद शर्मा को घूंस लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा। आश्चर्य की बात तो यह है कि सीईओ अरविंद शर्मा पैसे का इतना लालची निकला कि वह अपने ही कार्यालय में घूंस के रुपये ठेंग लिये। उसी दौरान लोकायुक्त की टीम ने सीईओ को रिश्वत के रुपयों के साथ दबोच लिया। लोकायुक्त की टीम घुसते ही जनपद कार्यालय में सनाका खिंच गया। कर्मचारी अपनी ही कुर्सी में बर्फ की माफिक जमे रहे। एसपी लोकायुक्त रीवा राजेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी अरविंद शर्मा के विरुद्ध उनके ही जनपद क्षेत्र के ग्राम पंचायत नदहा के सरपंच लाल संसारी सिंह ने शिकायत दर्ज करवाई थी। बताया कि शासन की मनरेगा योजना के तहत गांव में मुक्तिधाम का निर्माण करवाया गया। जिसका भुगतान जनपद सीईओ द्वारा नहीं किया जा रहा। भुगतान करने लिए बतौर कमीशन 15 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं।
जबकि काम में कोई भी लापरवाही या घटिया सामाग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया। सरपंच की शिकायत पर एसपी लोकायुक्त ने अपना जाल बिछाया और टीम गठित कर आरोपी को रंगेहाथ पकडऩे की योजना बना डाली। इस बीच सरपंच और सीईओ के बीच 15 हजार से 13 हजार रुपये बतौर कमीशन दिये जाने का सौदा तय हुआ। बुधवार को योजना स्वरूप सरपंच जनपद कार्यालय में पहुंच कर सीईओ को कमीशन के 13 हजार रुपये थमाये। उसी समय लोकायुक्त की टीम कार्यालय में घुस कर सीईओ को रिश्वत के रुपये सहित दबोच ली। दो गवाहों के सामने आरोपी सीईओ के विरुद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया।