रीवा। अगर आप लीची की स्वाद के शौकीन हैं तो सावधान हो जाएं। क्योंकि बिहार के बच्चों की जानलेवा बीमारी ‘चमकी का प्रकोप सबसे ज्यादा वहीं है और अब तक लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चों की मौतें हो चुकी हैं। यहां यह बताना आवश्यक है कि रीवा में आ रही लीची बिहार के विभिन्न इलाकों से आ रही है। सब्जी मण्डी स्थित व्यापारी उसे थोक के भाव खरीदकर फिर ठेला वालों को बेंचते हैं।
तत्संबंध में सूत्रों ने बताया है कि मुजफ्फरपुर से यह लीची रोजाना आ रही है। लगभग 3 से 4 पिकअप में लद कर यह लीची आती है और आम आदमी को उपलब्ध होती है। बताया गया है कि कई जगह पानी गिरने के बाद लीची के अंदर कई ऐसे पतले कीड़े जन्म ले लेते हैं जो नंगी आंखों से नहीं दिखाई देते और लोग उसका सेवन कर लेते हैं। फिर यही से बीमारी का दौर शुरू होता है। लीची अत्यंत स्वादिष्ट एवं मीठी होने के कारण बच्चे उसे खासा पसंद करते हैं। चिकित्सकों के अनुसार पानी गिरने के बाद लीची नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इसमें ऐसे जीवाणु प्रविष्ठ होते हैं जो आम जन के लिए नुकसानदेय होते हैं। खासतौर पर बच्चों को तो और सतर्क रखना चाहिए ताकि वे लीची का सेवन न करें। 100 से सवा सौ रूपए किलो बिकने वाली लीची के बारे में स्थानीय व्यापारी का कहना है कि पिछले एक महीने से मुजफ्फरपुर से यह लीची आ रही है। इन्होंने यह भी बताया कि चमकी का प्रकोप बढऩे के बाद इसकी आवक कम हुई है। लेकिन लीची के शौकीन इतने है कि रीवा में आते ही उसकी खपत हो जाती है।