रीवा। पिछले 24 घंटे से पूरे देश में एक अलग सा माहौल बना हुआ है। उसका कारण है विभिन्न निजी कंपनियों द्वारा जारी किया गया चुनावी सर्वे। 90 फीसदी सर्वे रिपोर्टो ने एनडीए को फिर से सरकार बनता दिखाया है। वहीं दूसरी ओर यूपीए एलाईंस को सवा सौ से 140 सीटों में ही सिमटाकर रख दिया है। ऐसे में विंध्य के लोग भी काफी दिग्भ्रमित से हैं। भाजपा के समर्थकों की बांछे खिली हुई हैं। तो वहीं विरोधी कांग्रेसी और बसपाई निराश तो हैं, लेकिन वे सर्वे रिपोर्टो को सही मानने से इंकार करते हैं। उसके कारण बताते हैं। अलबत्ता दो दिन बाद परिणाम आने ही हैं। सबकुछ साफ हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि विभिन्न सर्वे कंपनियों द्वारा जारी एग्जिट पोल में एनडीए को 275 से शुरू करके साढ़े 300 तक सीटें प्राप्त होना दिखाया है। वहीं उत्तर प्रदेश में भी कई चैनलों और सर्वे कंपनियों ने 50 से ज्यादा सीटें तथा मप्र में 22 से 25 सीटें मिलने का अनुमान भाजपा के पक्ष में जारी किया है। जनता भी हतप्रभ है। क्योंकि वर्तमान में जनता जागरूक होने के साथ छोटी-छोटी राजनैतिक गतिविधियों पर अपनी नजर रखती है। ऐसे में कई बार जनता भी कहने लगती है कि सर्वे रिपोर्ट में ईमानदारी नहीं है। कहने को तो एक चैनल ने दावा किया है कि पूरे देश में 7 लाख लोगों से उसने जानकारी ली है। इसके बाद यह आंकड़ जारी किए। पूरे देश में जहां 80 करोड़ मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया हो वहां एक फीसदी से भी कम लोगों से जानकारी लेकर सर्वे रिपोर्ट जारी कर देना कम से कम मेरी नजर में उपयुक्त ही नहीं है। उदाहरण के लिए अगर एक संवाददाता एक लोकसभा क्षेत्र में 5 हजार लोगों से जानकारी लेता है तो उससे पूरा आंकड़ा निकाल पाना संभव ही नहीं है। क्योंकि संवाददाता किसी एक या दो क्षेत्र में जाकर ही लोगों से रूबरू हो पाता है। लिहाजा इन स्थितियों में पूरे लोकसभा क्षेत्र का अनुमान लगा पाना संभव ही नहीं है। फिर भी कई बार अनुमान सत्य साबित होते हैं और कई बार यह अनुमान धरे के धरे रह जाते हैं। 2004 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शाईनिंग इंडिया का जोर था तब सर्वे करने वालों ने दावा किया था कि एक बार फिर यह सरकार रिपीट होगी। लेकिन परिणाम उलट निकले थे। सरकार कांग्रेस गठबंधन ने बना ली थी। इसके बाद 2009 में भी सर्वे रिपोर्ट देने वालों ने दावे किए थे कि इस बार यूपीए की सरकार बन पाना संभव ही नहीं है। तब भी यूपीए ने सरकार बनाया। 2014 के आंकड़े काफी कुछ हद तक सही पाए गए थे। लेकिन यूपी और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में सर्वे पूरी तरह से फेल दिखे थे। यूपी के विधानसभा चुनावों में त्रिशंकु सरकार बनाने का अनुमान सर्वे वालों ने लगाया था। लेकिन भाजपा ने क्लीन स्वीप कर दिया था। इसी प्रकार दिल्ली विधानसभा के लिए एग्जिट पोल जारी हुए थे। जिसमें केवल 30 सीट आप को तथा 25 सीट भाजपा को देते हुए कांग्रेस को 5 सीटों का विश£ेषण जारी किया गया था। लेकिन आप ने 67 सीट हासिल कर सर्वे कर्ताओं की करनी, धरनी पर ही प्रश्र चिन्ह लगा दिया था। बीते विधानसभा चुनावों में भी छत्तीसगढ़ में 40 से 42 सीटें भाजपा को तथा 45 से 48 सीटें कांग्रेस को दी गई थी। लेकिन कांग्रेस ने क्लीन स्वीप करते हुए 67 सीटें हासिल कर ली। इन स्थितियों में एग्जिट पोल कितने सही साबित हो पाते हैं यह देखना है।
क्या कहते हैं विभिन्न दलों के प्रतिनिधि
मोदी गरीबों के दिलों में बस चुके हैं : योगेन्द्र
भारतीय जनता पार्टी के संभागीय प्रवक्ता योगेन्द्र शुक्ल कहते हैं कि स्पष्ट आंकड़े तो 23 को दिखेंगे। यह सत्य है। मैं एग्जिट पोल पर ज्यादा नहीं कहना चाहूंगा, लेकिन यह जरूर कहूंगा कि प्रधानमंत्री मोदी लोगों के दिलों में बस चुके हैं। उन गरीबों के वो मसीहा बन चुके हैं जो जिंदगी भी झोपड़े में रहते थे। निश्चित तौर पर उसका परिणाम दिखाई दे रहा है और हो सकता है सर्वे से भी ज्यादा सीटें भाजपा और उनके सहयोगियों को मिलेगी।
मैं तो बिल्कुल सहमत नहीं : लक्ष्मण तिवारी
पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी कहते हैं कि यह कैसा सर्वे है, कैसा एग्जिट पोल है। जो सीटें जीतती दिख रही हैं वह इस एग्जिट पोल में हारती दिख रही हैं। इन्होंने कहा है कि अकेले मध्यप्रदेश में ही कांग्रेस को कम से कम 14 से 15 सीटें मिल रही हैं। फिर कैसा सर्वे। सर्वे करने वालों से मेरा कोई विरेाध नहीं है। लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगा कि 23 के परिणाम के बाद सर्वे करने वालों को अपनी गलती का एहसास होगा।
एग्जिट पोल एक्जिटली गलत : शहरयार
मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता शहरयार खान से जब दूरभाष पर चर्चा की गई तो उन्होंने दावे के साथ कहा कि यह एग्जिट पोल पूरी तरह से गलत साबित होगा। उन्होंने कहा कि जितनी सीटें इस एग्जिट पोल में दी जा रही हैं वह नहीं आने वाली। यूपीए ठीक दो गुनी पोजीशन पर दिखेगी। मप्र में 3 सीट, 5 सीट एग्जिट पोल वाले दिखा रहे हैं। जबकि मप्र में इससे 3 गुना ज्यादा सीटें कांग्रेस जीती हुई है और उससे भी ज्यादा जीतने की संभावनाएं हैं। लिहाजा मैं यह मान रहा हूं कि यह एग्जिट पोल बिल्कुल ही गलत साबित होंगे।
लोगों का अब भरोसा एग्जिट पोल पर नहीं : मंगू
शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुरमीत सिंह मंगू ने कहा है कि अब तक पिछले 20 सालों के बीच हुए चुनावों के एग्जिट पोल को मैंने देखा है। केवल दो चुनावों में एग्जिट पोल के आंकड़े लगभग आसपास थे। बाकी में एग्जिट पोल से ठीक उलट परिणाम आएं हैं। इसका ताजा उदाहरण दिल्ली के विधानसभा चुनाव, यूपी विधानसभा चुनाव और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव हैं। दिल्ली में विधानसभा चुनावों में आप को सर्वे वालों ने महज 26 सीटें दी थी। लेकिन उसने क्लीन स्वीप करते हुए 67 सीटें हासिल की थी। छत्तीसगढ़ को लीजिए जहां भाजपा को 30 से 35 तो कांग्रेस को 42-45 सीटें ही दी गई थी। शेष बसपा व जोगी कांग्रेस को दी थी। लेकिन परिणाम उलट गए और 67 सीटें कांग्रेस के खातें में गई। अलबत्ता सर्वे करने वाले अपना काम करते हैं, जनता अपना काम करती है। परिणाम देखिएगा।